मायापुरी में छपा एक किस्सा जितेंद्र जेल में ‘‘कसम खून की’’ के सैट पर

An anecdote published in Mayapuri on the set of 'Kasam Khoon Ki' Jitendra in jail

Image Source : Indian Film Industry

दोस्तो !

आप लोगों में से कई दोस्त ऐसे होंगे, जिन्होंने कभी जेल के दर्शन नहीं किये होंगे, और अगर सचमुच आपने कभी जेल नहीं देखी तो आइए मेरे साथ मैं आप को जेल तक ले चलता हूं.
निर्देशक अशोक राय ने दो सप्ताह पहले ही बता दिया था कि मैं मोहन स्टूडियो अंधेरी में शूटिंग करने वाला हूं. तुम्हें निमंत्रण है. जेल का दृश्य फिल्माना है. शाॅट जितेंन्द्र पर लेना है आओगे न ?
मैंने कहा, ‘जरूर आऊंगा’.

तो आइये चलते हैं मोहन स्टूडियो !

यह देखिये, यह है नटराज स्टूडियो और बीस पच्चीस कदम दूर पर ही यह रहा मोहन स्टूडियो.

और जैसे सी हमने स्टूडियो में प्रवेश किया, स्टूडियो के चैगान में विशाल जेल का सेट लगा हुआ था. जेल के बाहर ‘सेंट्रल जेल की स्वर्ण जयन्ती’ का बोर्ड टंगा हुआ था. सेट सचमुच का जेल लग रहा था. पल भर के लिये हमें लगा कि हम अपराधी हैं और हमें जेल में बन्द करने के लिये लाया गया है. सारा माहौल जेल के अन्दर जैसा था.

तभी हमें जितेंन्द्र, असित सेन, तरूण घोष आदि कलाकार कैदियों की वेष भूषा में नजर आये. कैदियों की सी टोपी, कुर्ता लम्बा और सफेद रंग की इस वेष भूषा में जितेन्द्र सचमुच का कैदी लग रहा था. शक्ल-सूरत पर जितेंद्र इस तरह के भाव लाने में सफल हो गया था कि पल भर के लिये कोई यह नहीं कह सकता था कि यह हीरो जितेंद्र है.

डायरेक्टर अशोक राॅय सीन फिल्माने की तैयारी कर रहे थे. कैमरामैंन तैयार था. लाइटिंग वगैरह की चेकिंग हो चुकी थी. और इसी बीच अशोक राॅय जितेंद्र व अन्य कलाकारों को सीन समझा चुके थे. दो तीन बार रिहर्सल भी करवा चुके थे. हालांकि देखने में शाॅट बड़ा मामूली था, लेकिन इसे सेट करने में अशोक राॅय को बड़ी परेशानी हो रही थी. खैर किसी तरह शाॅट तैयार हुआ. अशोक राॅय के सहायक भी तैयार हुए.

‘साइलेंस प्लीज’ की आवाजें गूंजने लगी. काफी लम्बा चैड़ा सीन था. कैमरा ओ. के था. अशोक राॅय का सहायक बोला.
‘यस स्टार्ट साउंड प्लीज ! . . . .लाइट आन … कैमरा …क्लैप म्यूजिक …एक्शन
क्लैपर बाॅय के क्लैप के साथ ही एक्शन शुरू हुए ….जेल के अन्दर से एक कोने में पच्चीस-तीस जूनियर कलाकारों के साथ जितेंद्र गाता हुआ आगे बढ़ रहा था. कैमरा उन पर केंद्रित था
गीत का मुखड़ा था. ‘अन्दर चले आओ ….अन्दर चले आओ ’
जितेंद्र के साथ-साथ असित सेन, तरूण घोष के अलावा अन्य सभी सहायक कलाकार तालियां बजाते हुए यही मुखड़ा दोहरा रहे थे.
यह शाॅट ओ. के. होते ही हम अशोक राॅय के करीब पहुंचे.
अशोक राॅय ने पूछा ‘कब आये’?
हमने जवाब दिया, बहुत देर पहले आया था ’
‘शाॅट कैसा लगा ?’
‘बहुत बढ़िया…. और हां कहानी के बारे में कुछ बताइए ना जितेंद्र जेल में कैसे आया ?’ हमने पूछा.

अशोक राय ने बताया.

‘इस फिल्म का हीरो जितेंद्र है, किसी तरह उसे मालूम पड़ता है कि एक निर्दोष व्यक्ति जबरदस्ती जेल में ठूंस दिया गया है तो यह स्वयं भी जान बूझ कर जेल के अन्दर पहुंच जाता है. जितेंद्र जानता है कि इस निर्दोष व्यक्ति के पास एक खून के खूनी का रहस्य है. जितेंद्र उससे दोस्ती बढ़ाता है और रहस्य जानने की कोशिश करता है, लेकिन वह व्यक्ति रहस्य बताने से इंकार करते हुए कहता है कि अगर मैं तुम्हें रहस्य बता दूंगा तो वे लोग मेरी बहन को मार डालेंगे. आखिरकार किसी तरह जितेंद्र उससे रहस्य मालूम करके बाहर निकलता है और असली खूनी को पकड़वाने में मदद करता है और इस बेगुनाह को जेल की कैद से आजाद करवा देता है.’’

‘कहानी का सेंट्रल आइडिया तो बहुत बढ़िया है ’. हमने कहा.

इसके बाद अशोक राॅय अगले शाॅट की तैयारी में लग गये.

‘कसम खून की’ तिरूपति पिक्चर्स के बैनर में बन रही है. यह जितेन्द्र की अपनी फिल्म है. इसके पूर्व जितेंद्र ‘हमजोली’ और ‘परिचय’ का निर्माण अपने भाई प्रसन्न कुमार के नाम से कर चुका है. जितेंद्र की नई फिल्म ‘खुश्बू’ प्रदर्शन के लिये तैयार है.

‘कसम खून की’ में जितेंद्र के साथ नायिका की भूमिका सुलक्षणा पंडित निभा रही हैं. असरानी, फरीदा जलाल और अजीत अन्य महत्व पूर्ण भूमिकाए कर रहे हैं. ’

– जे. एन. कुमार

 

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