रकुलप्रीत की ‘छत्रीवाली’ यौन शोषण जैसे गंभीर मुद्दे पर है, पढ़ें और जाने पूरी कहानी

Rakulpreet's 'Chhatriwali' is on a serious issue like sexual abuse, read and know the full story

Rakulpreet Chhatriwali News : बॉलीवुड एक्ट्रेस रकुलप्रीत सिंह अपकमिंग फिल्म ‘छत्रीवाली‘ को लेकर चर्चा में हैं। हाल ही में फिल्म का ट्रेलर रिलीज किया गया है, जिसे दर्शकों का अच्छा रिस्पॉन्स मिला है. तेजस प्रभा विजय देओस्कर द्वारा निर्देशित यह फिल्म यौन शिक्षा के गंभीर विषय से संबंधित है। (Rakulpreet Latest Movie)

यह फिल्म 20 जनवरी को जी5 पर रिलीज होगी। फिल्म में सुमित व्यास, सतीश कौशिक, डॉली अहलूवालिया, राजेश तैलंग, प्राची शाह पंड्या, रेवा अरोड़ा भी अहम किरदारों में हैं।

रकुलप्रीत का कहना है कि इस फिल्म की खासियत महिलाओं को होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं हैं। मुझे शुरू से ही फिल्म की स्क्रिप्ट पर भरोसा था। जब तेजस मेरे पास यह स्क्रिप्ट लेकर आए तो मुझे लगा कि यह फिल्म मनोरंजन के जरिए इतनी बड़ी कहानी कह रही है, जिसके बारे में समाज के लोग बात तक नहीं करते।

हमारा समाज सेफ सेक्स की बात तो करता है, लेकिन ये कभी नहीं सोचता कि कितने गर्भपात हो जाते हैं या एक महिला का शरीर कितने गर्भपात झेल सकता है. फिल्म की सबसे खूबसूरत बात यह है कि हंसते हुए आपको एक महत्वपूर्ण संदेश मिलता है। इसके साथ ही तेजस प्रभा का कहना है कि फिल्म में महिलाओं को होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं को हाईलाइट किया गया है। यह समस्या हर किसी के घर में होती है लेकिन कभी इस पर खुलकर बात नहीं की जाती। हम फिल्म के जरिए इस गंभीर मुद्दे पर खुलकर बात कर रहे हैं।

छत्रीवाली पारिवारिक मनोरंजन फिल्म

गौरतलब है कि ‘छत्रीवाली’ एक पारिवारिक मनोरंजन फिल्म है। उनका कहना है कि जब शरीर में बदलाव शुरू हो जाएं तो इसकी जानकारी उसी वक्त बच्चों को देनी चाहिए। सरकारी शोधकर्ताओं ने बच्चों के लिए स्कूलों में यौन शिक्षा के लिए सही उम्र का निर्धारण किया है, लेकिन कई बार शिक्षक भी इस विषय को पढ़ाने में असहज महसूस करते हैं। मेरा मानना ​​है कि हम इसे जितना आसान बनाएंगे, हमारा समाज उतना ही साक्षर होगा।

जब हम कंडोम फैक्ट्री में शूटिंग कर रहे थे तो वहां काम करने वाली सभी वर्कर्स महिलाएं थीं। इनमें से कुछ महिलाएं ऐसी भी थीं जो खुले तौर पर लोगों को यह भी नहीं बता पाती थीं कि वे इस फैक्ट्री में काम करती हैं। मुझे वास्तव में यह सामान पसंद है। हमने ग्रामीण इलाकों और शहर दोनों में शोध किया और इस प्रक्रिया में हमें कई चौंकाने वाली बातें पता चलीं। हमारे देश में सिर्फ 7 फीसदी कंडोम का इस्तेमाल होता है।

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